जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्त धाम शिवपुर में पावे॥ काशी में जाके विराजे देखो तीनो लोक के स्वामी माता-पिता भ्राता सब होई। संकट में पूछत नहिं कोई॥ ॥ शंकर मेरा प्यारा, शंकर मेरा प्यारा…॥ धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥ दानिन महं तुम सम https://jaibhole.co.in/home/Shree-Shiv-Chalisa
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